2025-01-28T08:03:00 Future University
बांझपन, जिसमें एक वर्ष तक नियमित प्रयासों के बाद भी गर्भधारण नहीं हो पाता, आज के समय में एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। यह समस्या न केवल महिलाओं बल्कि पुरुषों को भी प्रभावित करती है। आधुनिक जीवनशैली, तनाव, असंतुलित आहार और पर्यावरणीय प्रदूषण इसके मुख्य कारणों में शामिल हैं। आयुर्वेद, जो भारत की प्राचीन चिकित्सा पध्दति है, बांझपन का उपचार प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण से करती है। यह प्रणाली शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर जोर देती है ।
आयुर्वेद में बांझपन को ‘वंध्यता’ के रूप में जाना जाता है और इसे दोषों – वात, पित्त और कफ-के असंतुलन का परिणाम माना जाता है। विशेष रूप से, वात दोष का असंतुलन प्रजनन तंत्र पर गहरा प्रभाव डालता है। आयुर्वेद का उद्देश्य इन दोषों को संतुलित करना, शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना और प्रजनन अंगों को स्वस्थ बनाना है। इसके लिए आहार, औषधियों, पंचकर्म, योग और जीवनशैली में बदलाव जैसे उपाय किय जाते हैं।
आयुर्वेद में आहार को महत्वपूर्ण माना जाता है। पौष्टिक और संतुलित आहार प्रजनन क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है । दूध, घी, बादाम. तिल, और ताजे फल जैसे अनार, केले और गाजर का सेवन शुक्र धातु को मजबूत करता है। मसालों में अदरक, दालचीनी, और सौंफ भी प्रजनन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने गए है। आयुर्वेदिक औषधियां भी इस समस्या को समाधान में कारगर हैं। अश्वगंधा, शतावरी, गुडूची, और कपिकच्छु जैसी जड़ी-बूटियां हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और प्रजनन अंगों को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं।
पंचकर्म, आयुर्वेद की एक अनूठी प्रकिया है, जो शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करती है और दोषों को संतुलित करती है । इसमें वमन, विरेचन और बस्ती जैसे उपचार शामिल हैं, जो प्रजनन तंत्र को मजबूती प्रदान करते हैं। इसके साथ ही योग और ध्यान का भी महत्वपूर्ण स्थान है। योगासन जैसे पश्चिमोत्तानासन और भुजंगासन प्रजनन अंगों में रक्त प्रवाह को बढ़ते हैं, जबकि प्राणायम और ध्यान तनाव को कम करते है और मानसिक संतुलन बनाए रखते है।
आयुर्वेद में रसायन चिकित्सा, जो शरीर को पुनर्योवन देने की प्रक्रिया है, भी बांझपन के उपचार में उपयोगी है। यह न केवल प्रजनन अंगों को शक्ति प्रदान करती है, बल्कि संपूर्ण शरीर को ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देती है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण यह मानता है कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी गर्भधारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बांझपन के उपचार में आयुर्वेद का दृष्टिकोण सुरक्षित, प्राकृतिक और प्रभावी है। यह दीर्घकालिक समाधान प्रदान करता है और शरीर के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। हालांकि, यह उपचार धैर्य नियमितता की मांग करता है। किसी भी प्रकार के आयुर्वेदिक उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है। सही, आहार, स्वस्थ जीवनशैली और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ, आयुर्वेद बांझपन के लिए एक संपूर्ण समाधान साबित हो सकता है।
डॉ. निधि यादव, (सहायक प्रोफेसर),
FIAMS फ्यूचर यूनिवर्सिटी, बरेली, यूपी। भारत।