2025-01-28T05:37:00 Future University
पिछले लगभग 50 वर्षों में दो स्थितियां जिन्होनें मानव जीवन को बहुत गहराई से प्रभावित किया है वह चिंता और अवसाद जब कोई व्यक्ति किसी बीमारी से प्रभावित होता है तो उसके जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव उसके स्वस्थय और उसकी वित्तीय स्थिति पर पड़ता है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति चिंता अवसाद से ग्रसित रहने लगता है।
आज हमारी जीवन शैली में परिवारों का एकल परिवार गठन जैसे कारकों ने लोगों को उन तरीकों से प्रभावित किया है। जिनकी हमने कल्पना भी नहीं की थी। उन्होनें जीवन को बदल दिया है। नष्ट कर दिया है और किसी तरह लोग परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे है लेकिन हमारा दिमाग दी गई स्थिति के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे है जिसके वजह से आज की पीड़ी चिंता व अवसाद से ग्रसित रहती है।
आयुर्वेद वैद्यों के रुप में हमारे पास ऐसी स्थितियों का इलाज करने का अवसर हैं क्योंकि हमारे आचार्यों ने इन स्थितियों के बारे उल्लेख किया है और इस समस्यों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए उपयुक्त दवाएं, क्या करें, कैसा भोजन खायें आदि सुझाव भी दिए हैं ।
चिंतारोधी औषधियाँ - ब्राही, मंडुकपर्णी, अश्वगंधा, जटामांसी, पारसिकायवानी, इत्यादि औषधियाँ मुख्य भूमिका रखती है ।
पंचकर्म चिकित्सा – अभ्यंग, शिरोधारा, नस्य, ये प्रक्रियायें केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को फिर से जीवंत करती है जो अवशिष्ट तनाव, अवसाद को जीवन शौली की आदतों और काम के दबाव से उत्पन्न चिंता इन सब स्थितीयों में रहता देती है और दिमाग को मजबूत बनाती है।
आयुर्वेद के पास पीड़ित मानवता को देने के लिए बहुत कुछ है इस दुनिया में हर किसी को कुछ हद तक तनाव, अवसाद होता है और हर किसी को अपनी मानसिक स्वस्थय में सुधार करने की आवश्यकता होती है। रोगी को अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करना होगा इसलिए हमारे पास आयुर्वेद चिकित्सक परार्मश, व्यायाम, योग (इससे मस्तिष्क की गतिविधि पर सकरात्मक प्रभाव पड़ेगा), मेंध्य रसायन, मनोबल्य दवाये आदि है जो चिंता व अवसाद से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से ठीक कर सकते है।
डॉ. सरबजीत सिंह
सहायक प्रोफेसर,
FIAMS फ्यूचर यूनिवर्सिटी, बरेली, यूपी। भारत।